Heartbreaking incident of a dark night एक अँधेरी रात की डरावनी कहानी A Real Horror Story

 एक अँधेरी, ठंडी रात थी। बारिश तेज़ हो रही थी, और हवा खिड़कियों पर ज़ोरदार दस्तक दे रही थी। 





एक छोटा सा घर, एक जंगल के किनारे, इस खौफनाक मौसम में डूबा हुआ था। अंदर, एक युवती, सिया, अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी, डर से कांप रही थी। 


सिया के माता-पिता कुछ दिन पहले एक सड़क हादसे में मर गए थे, और वह अकेली इस घर में रह गई थी। उस रात, उसे अजीब सी आवाज़ें सुनाई दे रही थीं। ज़मीन से एक धीमी, भारी सी आवाज़ आ रही थी, जैसे कोई भारी चीज़ घसीट रही हो। 


सिया ने अपनी सांस रोक ली और कान लगाए। आवाज़ और तेज हो रही थी, और उसके कमरे के दरवाजे की तरफ़ आ रही थी। उसने धीरे से अपना सिर तकिये के नीचे दबाया, और आँखें बंद कर लीं। 


अचानक, दरवाज़े पर एक जोरदार ठोकर लगी। सिया ने चीख मारी और अपनी आँखें खोल दीं। वो दरवाज़े की तरफ़ देख रही थी, लेकिन वहाँ कुछ नहीं था। 


"कौन है वहाँ?" सिया ने डर के मारे फुसफुसाते हुए पूछा। 


लेकिन कोई जवाब नहीं आया। 


सिया ने अपने बिस्तर से उठने की हिम्मत जुटाई और धीरे से दरवाज़ा खोला। वह कुछ भी नहीं देख पाई। 


"हाँ, मुझे पता है। आप मुझे डराने की कोशिश कर रहे हैं," उसने खुद से कहा।  


लेकिन उसके अंदर एक अजीब सा डर बैठा था। वह अपने दिल की धड़कन सुन सकती थी। 


सिया ने वापस अपने बिस्तर पर जाने का फैसला किया। वह सो गई, लेकिन उसके दिमाग में वो आवाज़ें गूंज रही थीं। 


जब उसने फिर से आँखें खोलीं, तो सूरज ऊपर चढ़ चुका था। वह उठी और खिड़की से बाहर देखी। बाहर सब कुछ शांत था। 


लेकिन जब उसने अपने कमरे में वापस देखा, तो उसकी आँखें चौड़ी हो गईं।  


उसके बिस्तर पर, एक छोटी सी, काली लकड़ी की गुड़िया पड़ी थी। उसकी आँखें काली मोतियों से बनी थीं, और वो सिया की तरफ देख रही थी।  


सिया ने अपने आप से कहा, "ये तो सपना होगा।"  


वह गुड़िया को उठाने के लिए आगे बढ़ी, लेकिन ठंडी हवा ने उसके हाथों में झुनझुनी पैदा कर दी। गुड़िया उसके हाथों में ठंडी पड़ गई। 


सिया ने जल्दी से गुड़िया को नीचे फेंका और अपनी पीठ पीछे मुड़ ली।  


उसके दिमाग में एक आवाज़ गूँज रही थी, "अब तुम कभी अकेले नहीं रहोगे." 


सिया ने दौड़कर अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया, और खुद को अपने बिस्तर पर ढँक लिया।  


वह अब अकेली नहीं थी।


सिया ने अपनी आँखें बंद करके खुद को शांत करने की कोशिश की, लेकिन डर ने उसका दम घोंटना शुरू कर दिया। वो बार-बार गुड़िया की आँखों को देखती हुई सो गई थी, और वो काले मोती उसे डराने लगे थे। 


उसके माता-पिता की मौत का गम, और घर में अकेले रहने का डर, अब गुड़िया के साथ और भी बढ़ गया था। सिया के मन में एक अजीब सी बेचैनी थी। वह हर आवाज़, हर हिलने-डुलने वाली चीज़ पर ध्यान देने लगी थी।  


उस दिन, सिया ने अपने घर के हर कोने को साफ किया, और खुद को व्यस्त रखने की कोशिश की। वो अपने माता-पिता की तस्वीरों को देखती, उनकी यादों को ताज़ा करने की कोशिश करती, लेकिन उसकी नज़रें बार-बार गुड़िया पर जाकर टिक जाती थीं। 


वो गुड़िया उसकी निगरानी कर रही थी। 


रात हुई, और सिया ने अपने बिस्तर पर लेटने से पहले सभी दरवाज़े और खिड़कियाँ बंद कर लीं। वो गुड़िया को उसके बिस्तर के पास रखने से डरती थी, इसलिए उसने उसे कमरे के एक कोने में रख दिया।   


लेकिन रात में, जब सिया ने अपनी आँखें खोलीं, तो वो गुड़िया उसके बिस्तर के पास बैठी हुई थी, उसकी आँखें सिया की तरफ देख रही थीं।  


सिया चीख उठी, और गुड़िया को फर्श पर फेंक दिया।   


उसने गुड़िया के बारे में कुछ जानना चाहती थी। वह गुड़िया कहाँ से आई थी? उसकी आँखों में वो अजीब सी चमक क्यों थी?  


सिया ने गुड़िया को खिड़की से बाहर फेंक दिया। वह नहीं चाहती थी कि वह उसके घर में रहे।  


लेकिन सुबह जब वह उठी, तो गुड़िया वापस उसके बिस्तर के पास पड़ी हुई थी।  


सिया का डर और भी बढ़ गया। वह अब कभी भी शांत नहीं हो सकती थी। वह अकेली नहीं थी। उसके साथ कोई और था, और वह उसे नहीं छोड़ने वाला था।  


सिया ने सोचा कि गुड़िया कोई भूत है, या कोई बुरी आत्मा है जो उसे डराने के लिए उसके घर में आ गई है। लेकिन वह इससे कैसे छुटकारा पा सकती है?  


सिया ने अपने घर के हर कोने में गुड़िया को ढूंढा, लेकिन वह हमेशा उसके पास ही रहती थी।  


अंत में, सिया ने समझ लिया कि वह गुड़िया से नहीं छुटकारा पा सकती। वह उसके साथ रहेगी, और वह उसे हमेशा डराती रहेगी।  


सिया का डर अब एक अजीब सी निरंतर आदत बन गया था। वह गुड़िया को अपनी ज़िंदगी का एक हिस्सा माना था।   


लेकिन सिया कभी भी गुड़िया की नज़रों को नहीं भूली। वो काले मोती हमेशा उसे डराते रहते थे।  


और सिया कभी भी अकेली नहीं रही।

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